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Home हिंदी कानून क्या कहता है

IPC की धारा 498-A के दुरुपयोग पर इलाहाबाद HC का ऐतिहासिक फैसला- पत्नी द्वारा FIR दर्ज कराने के बाद 2 महीने तक नहीं होगी कोई गिरफ्तारी

Team VFMI by Team VFMI
June 17, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

No Arrest For Two Months After Registration Of FIR In 498A Cases: Allahabad High Court

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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दहेज उत्पीड़न की विवादित धारा 498-A के दुरुपयोग को देखते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने 13 जून, 2022 को पारित एक ऐतिहासिक आदेश में पत्नियों द्वारा धारा 498-A के दुरुपयोग की निंदा की। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि IPC की धारा 498-A के तहत दर्ज मुकदमे में दो महीने तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं कि जाए। हाई कोर्ट एक वैवाहिक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि वैवाहिक मामलों में FIR दर्ज होने के बाद दो महीने के ‘कूलिंग पीरियड’ तक नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी या उनके खिलाफ पुलिस की कार्रवाई नहीं की जाएगी। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने मुकेश बंसल उनकी पत्नी मंजू बंसल और बेटे साहिब बंसल की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।

क्या है पूरा मामला?

हापुड़ की रहने वाली शिवांगी बंसल ने दिसंबर, 2015 में साहिब बंसल से हिंदू रीति-रिवाजों से शादी की थी। दोनों के बीच पहले दिन से ही कई गलतफहमियां थीं। पति-पत्नी के बीच कई मुद्दों को लेकर शादी के बाद से ही कलह चल रहा था।

पत्नी का आरोप

– माता-पिता ने लगभग 2 करोड़ रुपये नकद, आभूषण, कपड़े, बर्तन, फर्नीचर और 50 लाख रुपये के अन्य उपहारों में खर्च किए।
– पति सहित पति के परिवार के सभी पांचों सदस्य उक्त दहेज से खुश नहीं थे और अतिरिक्त दहेज के रूप में 20 लाख रुपये की मांग कर रहे थे जो बाद में बढ़कर 50 लाख रुपये हो गया।
– ससुर मुकेश बंसल बेटे की पत्नी से यौन संबंध बनाना चाहते थे।
– देवर चिराग बंसल ने भी उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की कोशिश की।
– मोबाइल फोनछीन कर बाथरूम में बंद कर देता था पति।
– जब पत्नी गर्भवती हुई, तो उसके ससुराल वालों ने किसी खगोलशास्त्री से ‘अजन्मे’ बच्चे के लिंग की भविष्यवाणी करने को कहा।
– सास-बहू ने बच्चे का गर्भपात कराने का दबाव बनाया।
– उसके मना करने पर घर के सभी सदस्यों ने उसकी पिटाई शुरू कर दी।
– पत्नी के गर्भवती होने पर पति ने जबरदस्ती उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश की।
– पति ने भी अप्राकृतिक और मुख मैथुन करने की कोशिश की और यहां तक कि पत्नी के मुंह में पेशाब कर दिया।
– अतिरिक्त दहेज की लगातार मांग की जा रही थी और पत्नी द्वारा उन्हें नहीं देने से इनकार करने पर, उसे मुट्ठियों और लातों से बेरहमी से पीटा गया। उसके साथ दुर्व्यवहार और उसे अपमानित किया गया।
– पति ने अपनी ‘चुन्नी’ से पत्नी का गला घोंटने का प्रयास किया और उसे और अपमानित करने के लिए शौचालय के कमोड में उसका सिर डाल दिया।
– इसके बाद, पत्नी ने अक्टूबर 2018 में महिला पुलिस को फोन किया और हापुड़ में अपने पैतृक घर लौट आई।

पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई FIR

इसके बाद, पत्नी ने दहेज निषेध अधिनियम के तहत क्रूरता, जानबूझकर अपमान, आपराधिक धमकी, हत्या के प्रयास और अपराधों के लिए अपने पति, उसके माता-पिता, देवर और ननद के खिलाफ FIR दर्ज कराई। 22 अक्टूबर, 2018 को उसने हापुड़ के पिलखुआ पुलिस थाना में अपने पति और ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 498-A, 504, 506, 307 और 120-B समेत अन्य धाराओं के तहत FIR दर्ज कराई।

देवर और ननद का नाम हटाया गया

इस मामले की गहराई से जांच के बाद पुलिस ने केवल 498-A, 323, 504, 307 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। शिवांगी अप्राकृतिक मैथून, बलपूर्वक गर्भपात कराने के आरोपों को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी। यही नहीं, आरोप पत्र से उसके देवर चिराग बंसल और ननद शिप्रा जैन का नाम हटा दिया गया।

साहिब बंसल और शिवांगी बंसल के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए शिवांगी के सास ससुर ने उनसे अलग होकर एक किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया था और वे अपने बेटे और बहू के साथ महज एक साल चार महीने ही रहे।

पति का बचाव

पति के विद्वान वकील ने थाने में पत्नी द्वारा की गई FIR का अभिलेख बताया। वकील ने पत्नी द्वारा पुलिस को दिए गए बयान की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं उसके (पति) साथ नहीं रहना चाहती। मैं शारीरिक रूप से आहत नहीं हूं। मैं मेडिकल जांच के लिए नहीं जा रहा हूं।

वकील ने आरोप लगाया कि मारपीट के सभी आरोपों के बावजूद, उसने स्पष्ट रूप से बयान दिया है कि उसका शारीरिक शोषण नहीं किया गया था। इसलिए, किसी भी मेडिकल जांच से गुजरने के लिए सहमति नहीं दी। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उसी तारीख को, पति ने पुलिस के साथ अपना डिटेल्स शेयर किया था कि कैसे उसकी पत्नी बदसूरत स्थिति का फायदा उठा रही थी और वह 5 करोड़ रुपये की मांग कर रही थी।

हाई कोर्ट का आदेश

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा कि इस ‘कूलिंग पीरियड’ के दौरान मामले को तत्काल परिवार कल्याण समिति के पास भेजा जाएगा और केवल वहीं मामले इस समिति के पास भेजे जाएंगे जिनमें IPC की धारा 498 A (दहेज के लिए उत्पीड़न) और ऐसी अन्य धाराएं लगाई गई हैं, जहां 10 वर्ष से कम की जेल की सजा है, लेकिन महिला को कोई चोट नहीं पहुंचाई गई है।

अपने अहम निर्णय में अदालत ने सास-ससुर क्रमश: मंजू और मुकेश के खिलाफ आरोप हटाने की याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन पति साहिब बंसल की याचिका खारिज कर दी और उसे सुनवाई के दौरान निचली अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि जब संबद्ध पक्षों के बीच समझौता हो जाए तो जिला और सत्र न्यायाधीश एवं जिले में उनके द्वारा नामित अन्य वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के पास आपराधिक मामले को खत्म करने सहित मुकदमे को खत्म करने का विकल्प होगा।

498-A के दुरुपयोग पर जताई चिंता

कोर्ट ने आगे कहा कि यह आमतौर पर देखने में आता है कि प्रत्येक वैवाहिक मामले को कई गुना बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है जिसमें पति और उसके सभी परिजनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। आजकल यह धड़ल्ले से चल रहा है जिससे हमारा सामाजिक ताना बाना बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

अदालत ने कहा कि महानगरों में लिव इन रिलेशनशिप हमारे पारंपरिक विवाहों की जगह ले रहा है। वास्तव में दंपति, कानूनी पचड़ों में पड़ने से बचने के लिए इसका सहारा ले रहे हैं। यदि IPC की धारा 498-A का इसी तरह से दुरुपयोग होता रहा तो सदियों पुरानी हमारी विवाह की व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो जाएगी।

READ ORDER | No Arrests For Two Months After Registration Of FIR By Wife: Allahabad High Court On Misuse Of IPC 498A

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