केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में लोकसभा में कहा कि यह किसी भी हद तक सटीकता के साथ नहीं कहा जा सकता है कि तलाक कानून के प्रावधान और मामलों के निपटारे में लंबी देरी अलग-अलग व्यक्तियों के उच्च अनुपात (High Proportion of Separated Individuals) से जुड़ी हुई है।
पीटीआई के मुताबिक, एक सवाल के लिखित जवाब में कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) ने यह भी कहा कि शादी के “अपरिवर्तनीय टूटने” के आधार पर दोनों पक्षों को तलाक के लिए दायर करने की अनुमति देने के लिए वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
मंत्री से पूछा गया था कि क्या तलाक कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधान और तलाक के मामलों के निपटारे में लंबी देरी अलग-अलग व्यक्तियों के उच्च अनुपात (High Proportion) से जुड़ी हुई है।
उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार विवाह कानूनों को और अधिक महिलाओं के अनुकूल बनाने का प्रस्ताव करती है और दोनों पक्षों को विवाह के “अप्रत्याशित रूप से टूटने” के आधार पर तलाक के लिए दायर करने की अनुमति देती है।
सवाल के जवाब में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह किसी भी सटीकता के साथ नहीं कहा जा सकता है कि तलाक कानून के प्रावधान और लंबी देरी अलग-अलग व्यक्तियों के उच्च अनुपात से जुड़ी हुई है।
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