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“बेटे की कस्टडी के लिए 15 साल तक लड़ने के बाद उसने पुलिस के सामने मुझे पहचानने से इनकार कर दिया, मुझे अंकल कहा”, पढ़िए एक पिता की दर्द भरी कहानी

Team VFMI by Team VFMI
August 14, 2022
in हिंदी
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voiceformenindia.com

Parental Alienation India (Representation Image)

19
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पिछले दो दशकों में भारत में तलाक की संख्या दोगुनी हो गई है। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, तलाक के बढ़ते मामलों के बावजूद वास्तव में केवल 1.1% महिलाओं का ही तलाक हुआ है। कानूनी रूप से तलाकशुदा होने के अलावा, भारत में वर्षों और दशकों से अलग रहने वाले कपल की संख्या बहुत अधिक है। इस स्थिति के लिए मुख्य रूप से कुछ संकीर्ण सोच वाले लोग जिम्मेदार हैं, जो अभी भी तलाक को वर्जित मानते हैं। हमारे पास ऐसे मामले भी हैं जहां कई साल पहले तलाक का निपटारा हो चुका है।

हालांकि, पत्नी धारा 498-A मामले में बहस पूरी करने से इनकार कर देती है, जिसे अदालत द्वारा एकतरफा बंद नहीं किया जा सकता है। रॉबिन अल्मेडा (Robin Almeida) का मामला ऐसा ही है, जो अपनी पूर्व पत्नी द्वारा दर्ज किए गए कथित झूठे 498A मामले में पिछले 20 सालों से नियमित रूप से अदालतों का चक्कर लगा रहा है। यह मामला सितंबर 2019 का है।

क्या है पूरा मामला?

– रॉबिन ने 1998 में अपनी पत्नी सुजैन से शादी की थी।
– कपल को 2 साल के भीतर एक लड़का पैदा हुआ।
– मतभेदों के कारण, कपल 3 जुलाई, 2000 को अलग हो गए और रॉबिन पर 4 जुलाई, 2000 को उनकी पत्नी द्वारा FIR दर्ज कराई गई।
– उसी दिन रॉबिन को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया और उसे अदालत में पेश करने से पहले एक रात सलाखों के पीछे रखा गया।
– पति के अनुसार, उसकी पत्नी को उसके चचेरे भाइयों द्वारा 498A (दहेज उत्पीड़न) का झूठा मामला दर्ज करने के लिए उकसाया गया था। उसने रॉबिन द्वारा घरेलू उत्पीड़न और टेलीविजन और सोने की मांग का आरोप लगाया था।
– हालांकि, बाद में ही पति को पता चला कि सुज़ैन का अफेयर तब था जब वह कॉलेज में थी और उसी आदमी ने उसे नौकरी की पेशकश की थी जहां वह काम कर रहा था।
– सुजैन ने अपने ‘दोस्त’ से यह भी कहा था कि उसके माता-पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी कर दी थी।
– लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार 2008 में दोनों का तलाक हो गया। हालांकि, 498A का मामला लटका रहा।
– रॉबिन रोजाना अपने बच्चे की कस्टडी का मामला लड़ रहा था और 15 साल बाद जब बेटा 18 साल का हो गया, तो उसने पुलिस के सामने अपने पिता को पहचानने से ही इनकार कर दिया।
– अपने ही पिता को “अंकल” कहने के लिए बेटे का ब्रेनवॉश किया गया था।
– रॉबिन के मुताबिक, तलाक के 5 साल बाद भी जब उसने पासपोर्ट अथॉरिटी से सुजैन का सरनेम बदलने के लिए कहा तो उसने लिखित में दिया कि उसे अपने तलाक की जानकारी नहीं है।
– मामले की वर्तमान स्थिति यह है कि रॉबिन पिछले 20 साल से अपने 498A मामले में लगभग सभी तारीखों पर पेश हो रहा है।
– उसकी पूर्व पत्नी सुजैन ने एक भी तारीख पर कोर्ट में पेश नहीं हुई और दो दशकों से उक्त मामले में न तो दोष सिद्ध हुआ है और न ही आरोपमुक्त किया गया है।

पति का बयान

रॉबिन ने हंसते हुए कहा कि एक और 5 साल और मैं सिल्वर जुबली मनाऊंगा। रॉबिन ने आगे कहा कि भारत में कोई न्यायिक प्रणाली नहीं है। यह सिर्फ नागरिकों को परेशान करने और पुलिस, वकील और जजों के लिए रोजगार का नाटक है। ‘जमानत’ का प्लेटफॉर्म हर साल करोड़ों की कमाई करता है, जिसमें पूरी व्यवस्था अपनी कटौती करती है।

उसने कहा कि भारत में पतियों के पास लगभग कोई सहारा नहीं है। अगर पत्नी आपको जीवन भर झूठे मामलों में परेशान करना या फंसाना चाहती है, तो आपकी मदद करने वाला कोई नहीं है। अदालत की तारीखों में उपस्थित होने के 20 साल सिर्फ हमारे सिस्टम का मजाक है। फिर भी हमारी न्यायपालिका महिलाओं को उनके फायदे के लिए कानून का दुरुपयोग करने के लिए दंडित करने से इनकार करती हैं।

(अस्वीकरण: मामला अभी कोर्ट में चल रहा है जिस वजह से पार्टियों के नाम बदल दिए गए हैं।)

Father | “After Fighting 15-Yrs For Son’s Custody, He Refused To Recognise Me In Front Of Police; Called Me Uncle”

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