मुंबई की एक अदालत (Mumbai Court) ने घरेलू हिंसा के एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि पालतू जानकर लोगों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद करते हैं और रिश्तों में तकरार के कारण होने वाली भावनात्मक कमी को दूर करते हैं। कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए हाल ही में एक पति की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी को दी जाने वाली भरण-पोषण राशि को कम करने की मांग की थी, जिसमें उसके तीन कुत्तों के भरण-पोषण के लिए आवश्यक राशि भी शामिल थी। इसके साथ ही अदालत ने घरेलू हिंसा से जुड़े स में पत्नी के अलावा उसके 3 कुत्तों के लिए भी पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला तलाक ले चुकी 55 साल की महिला का है, जिसकी अपील थी कि उसके अलावा 3 रॉटवीलर्स के लिए भी पति भरण-पोषण दे। महिला ने अलग रह रहे अपने पति से गुजारा भत्ता मांगते हुए कहा है कि उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तथा तीन पालतू कुत्ते भी उस पर निर्भर हैं। महिला ने अदालत का रुख करते हुए कहा था कि उसकी शादी सितंबर 1986 में प्रतिवादी (बेंगलुरु के कारोबारी) से हुई थी। शादी के कई साल बाद उनके बीच कुछ मतभेद पैदा हो गए और 2021 में प्रतिवादी ने उसे मुंबई भेज दिया।
याचिका के अनुसार, उसने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने तथा अन्य मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करने का आश्वासन दिया था लेकिन यह वादा निभाया नहीं। शादीशुदा जिंदगी के दौरान उसने कई बार घरेलू हिंसा की। याचिका में कहा गया है कि महिला की आय का कोई स्रोत नहीं है। वह बीमार है और उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। इसके अलावा तीन कुत्तों की जिम्मेदारी भी उस पर है।
कोर्ट का आदेश
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (बांद्रा अदालत) कोमलसिंह राजपूत ने 20 जून को दिए अंतरिम आदेश में पति को अलग रह रही अपनी 55 वर्षीय पत्नी को हर महीने 50,000 रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पति की यह दलील खारिज कर दी कि पालतू कुत्तों के लिए गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता। मजिस्ट्रेट ने कहा, “मैं इन दलीलों से सहमत नहीं हूं। पालतू जानकर भी एक सभ्य जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। मनुष्य के स्वस्थ जीवन के लिए पालतू पशु आवश्यक हैं, क्योंकि वे रिश्तों के टूटने से हुई भावनात्मक कमी को दूर करते हैं।”
अदालत ने कहा कि इसलिए गुजारा भत्ते की राशि कम करने का यह आधार नहीं हो सकता। घरेलू हिंसा के आरोपों से इनकार करते हुए पति ने दावा किया कि उसे अपने व्यवसाय में घाटा हुआ है और वह उसे भरण-पोषण नहीं दे पाएगा। व्यक्ति ने अपनी पत्नी के तीन पालतू जानवरों के भरण-पोषण के दावे के खिलाफ भी दलील दी थी, लेकिन अदालत ने महसूस किया कि यह राशि कम करने का आधार नहीं हो सकता।
अदालत ने पाया कि शख्स अच्छा पैसे वाला है और उसकी वित्तीय पृष्ठभूमि अच्छी है। इसलिए वो गुजारा भत्ता देने में सक्षम है इसलिए और वह भी उसके लिए उपयुक्त जीवनशैली और आवश्यकताओं के साथ। अलग हो चुके पति ने दावा किया कि उसने बीच की अवधि में उसे कुछ रकम का भुगतान किया था। प्रस्तुत दस्तावेजों से मजिस्ट्रेट ने निष्कर्ष निकाला कि महिला पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का प्रथम दृष्टया मामला बनाने में सफल रही है और इस प्रकार, वह अंतरिम रखरखाव की हकदार है।
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