राजस्थान के कोटा (Kota of Rajasthan) में हाल ही में रेप और धमकी देने के आरोप में तीन साल पहले गिरफ्तार एक युवक निर्दोष पाया गया है। हाई कोर्ट के निर्देश पर युवक के खिलाफ दोबारा जांच हुई जिसमें वह निर्दोष पाया गया है। अब कोर्ट ने युवक के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन साल पहले 2019 में दुष्कर्म, अप्राकृतिक कृत्य एवं धमकाने के मामले में आरकेपुरम के तत्कालीन सीआई ओमप्रकाश ने मुकेश नाम के युवक को गिरफ्तार कर लिया। इस बीच, मुकेश ने 2020 में हाई कोर्ट में अपील की और मामले की जांच दूसरे अधिकारी से करवाने की मांग की। फिर हाई कोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन आईजी ने जांच दूसरे अधिकारी से करवाई। पुलिस ने दोबारा जांच के बाद अप्रैल 2020 में इस केस में FR लगा दी।
जांच में युवक पाया गया निर्दोष
जांच अधिकारी ने कहा कि मुकेश का कोई अपराध होना प्रमाणित नहीं माना जाता। अधिकारी ने कहा कि जांच में मिले सबूत, तस्वीर, वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर स्पष्ट है कि मुकेश इसमें दोषी नहीं है। मुकेश का कहना है कि वह दो साल से पुलिस से यह जानकारी मांग रहा था, लेकिन कोई डिटेल्स देने के लिए तैयार नहीं था।
इसके बाद युवक ने इसके लिए हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगाया और एसपी के पास RTI के तहत अर्जी लगाई। आरटीआई में पता चला कि मामले में पुलिस ने तत्कालीन थानाधिकारी ओमप्रकाश को गलत जांच के लिए दोषी पाया था। विभागीय कार्रवाई करते हुए उसे 17 सीसी का नोटिस दिया गया। आईजी की ओर से थानाधिकारी को दंडित भी किया था। मुकेश का कहना है थानाधिकारी की एक गलती के कारण वह तीन साल मानसिक दबाव में रहा। पहले ही जांच सही होती तो मेरी गिरफ्तारी नहीं होती।
जांच अधिकारी का बयान
भास्कर के मुताबिक, तत्कालीन थानाधिकारी ओमप्रकाश अभी बारां SP ऑफिस में पदस्थ हैं। उन्होंने अखबार से कहा कि जब केस दर्ज हुआ तो सारी डिटेल्स अधिकारियों को दी थी। अधिकारी ने कहा कि युवक की गिरफ्तारी भी उनके कहने पर की थी। मुझे जो सही लगा मैंने किया। बाद में इसकी जांच किसी और ने की और उसने केस को गलत माना। मुझे इसके लिए सजा भी मिली थी। आगे क्या कार्रवाई चल रही है। उसके बारे में मुझे डिटेल्स जानकारी नहीं है।
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