राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने हाल ही में अपनी सास की हत्या की आरोपी महिला और उसके कथित प्रेमी को बरी कर दिया। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष निश्चित रूप से कथित अनैतिक संबंध या कथित हत्या के पीछे के मकसद को साबित करने में विफल रहा। कोर्ट ने देखा कि अभियोजन पक्ष के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा अवैध संबंध साबित करने के लिए सबूत पेश करना लगभग असंभव है और ऐसे मामलों को केवल गवाहों के बयानों पर भरोसा करके साबित किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला भगवंती की सास की कथित हत्या से संबंधित था, जो कथित तौर पर भगवंती और अब्दुल के बीच आपत्तिजनक अवैध संबंधों के कारण शुरू हुई थी। अभियोजन पक्ष ने इस दावे को साबित करने के लिए गवाहों के बयानों पर भरोसा किया।
हाई कोर्ट
जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने आरोपी पक्ष इकबाल अब्दुल रहमान और भगवंती बाबू लाल जैन को बरी करने की पुष्टि करते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया। अदालत ने प्रत्यक्ष साक्ष्य के माध्यम से अवैध संबंध को साबित करने में चुनौतियों को रेखांकित किया, यह देखते हुए कि ऐसे मामले आमतौर पर सार्वजनिक दृष्टिकोण से छुपाए जाते हैं।
फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि गवाह के बयान अक्सर ऐसे रिश्तों को साबित करने का प्राथमिक साधन होते हैं, क्योंकि वे पारिवारिक और सामाजिक चिंताओं के कारण सामाजिक जांच से छिपे होते हैं।
इसके अलावा, अदालत ने ऐसे दावों को स्थापित करने के लिए विश्वसनीय सबूत की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, अवैध संबंध और आकस्मिक सामाजिक संबंधों के बीच अंतर को रेखांकित किया।
हालांकि, सबूतों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण पर अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि प्रस्तुत सामग्री केवल इकबाल और भागवंती के बीच कथित संबंधों की एक अस्पष्ट रूपरेखा पेश करती है। अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आरोपियों और मृतक के बीच उनके कथित संबंधों के आधार पर कोई ठोस दुश्मनी साबित नहीं हुई है।
इसने विसंगतियों के कारण अदालत ने गवाहों के बयानों की विश्वसनीयता पर भी संदेह व्यक्त किया। अंततः अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य अवैध संबंध या हत्या के स्पष्ट मकसद को निश्चित रूप से स्थापित करने में विफल रहे। नतीजा यह हुआ कि कोर्ट ने हत्या के दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।
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