इस साल सितंबर में राजस्थान (Rajasthan) में अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में दूसरे स्थान पर रही। राज्य में 2021 में बलात्कार की सबसे अधिक संख्या और महिलाओं के खिलाफ कुल अपराधों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या दर्ज की गई।
देश में सबसे अधिक 6,337 बलात्कार के मामलों के साथ राजस्थान को शीर्ष राज्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। इसने 19.34 फीसदी की वार्षिक वृद्धि को चिह्नित किया, क्योंकि 2020 में 5,310 मामले दर्ज किए गए थे।
अपने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से हमला बोले जाने के बाद सीएम गहलोत ने सार्वजनिक रूप से एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि राजस्थान में दर्ज लगभग 56 फीसदी बलात्कार के मामले झूठे थे।
राजस्थान महिला आयोग का नया आदेश
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले, राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रयाज चिश्ती ने घोषणा की थी कि जांच के बाद झूठे पाए जाने वाले 60 मामलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चिश्ती ने कहा कि आयोग ने पाया कि इस साल 400 से अधिक फर्जी मामले दर्ज किए गए। सभी मामलों में धीरे-धीरे कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने मीडिया को आगे बताया कि फरवरी के बाद से, हमने 418 फर्जी मामलों की पहचान की है जो व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण दर्ज किए गए थे। कई मामलों में व्यक्ति के परिवार से पैसे लेने के लिए फर्जी आरोप लगाए गए। हमने ऐसे 60 मामलों का चयन किया है और झूठे मामले दर्ज करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एसपी को लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे समाज में एक मिसाल कायम होगी और किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इन फर्जी मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन झूठे मामलों में आरोपी पुरुषों या पार्टियों के भी परिवार होते हैं जो बहुत परेशानी से गुजरते हैं। परिवार में महिलाएं ज्यादातर इसका खामियाजा भुगतती हैं, जिसे हम रोकना चाहते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, फरवरी से अब तक आयोग को 3,618 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 1,275 का समाधान किया जा चुका है। जबकि 2,343 मामले लंबित हैं। अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल से इस साल भी 1,821 मामले सुलझाए गए।
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने जताई नाराजगी
अब, राजस्थान राज्य महिला आयोग का यह आदेश राज्य के कुछ ‘महिला अधिकार कार्यकर्ताओं’ को नागवार गुजरा है। कविता श्रीवास्तव नाम की एक महिला ने लिखा कि राजस्थान राज्य महिला आयोग ने गैंगरेप और लिव इन रिलेशनशिप के मामलों में महिलाओं को अपराध घोषित करने का एक निंदनीय निर्णय लिया है, जहां पुलिस ने निष्कर्ष निकाला है कि मामला झूठा है। इसलिए अब उनके खिलाफ IPC की धारा 182/211 के तहत FIR दर्ज की जाएगी।
महिला ग्रुप के प्रतिनिधियों ने महिला आयोग का घेराव किया और इस आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने 24 घंटे का समय दिया है। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ नए आदेश को वापस लेने को लेकर राज्यव्यापी अभियान चलाएंगे। राज्य महिला आयोग में कार्यकर्ताओं का विरोध उस फैसले को वापस लेने की मांग करता है जो पीड़ित महिलाओं को अपराधी बनाता है, जहां पुलिस अंतिम क्लोजर रिपोर्ट डालती है।
कई सोशल मीडिया यूजर्स और पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने झूठे बलात्कार के मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं को अपराधी नहीं बनाने के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया। कई लोगों ने महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के पाखंड को भी उजागर किया, जो बलात्कार के वास्तविक पीड़ितों का नुकसान कर रहे थे, क्योंकि ऐसे मामलों में बलात्कार के वास्तविक मामलों में न्याय के लिए समयबद्धता में देरी होगी।
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