अहमदाबाद के एक सेशन कोर्ट (Sessions Court) ने कहा है कि बलात्कार का मामला (Rape Case) किसी व्यक्ति को शादी के अपने वादे को पूरा करने के लिए मजबूर करने का तरीका नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने एक विवाहित महिला के साथ शादी का झूठा वादा करके कथित बलात्कार करने के आरोपी बैंक कर्मचारी को बरी कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस मामले में आरोपी भावेश पटेल ने उस महिला से शादी नहीं की, जिसे वह चाहता था, क्योंकि उसके माता-पिता उनकी शादी के लिए राजी नहीं थे। माता-पिता रिश्ते के खिलाफ थे, क्योंकि महिला की पहली शादी से दो बच्चे थे। यह मामला 2020 का है, जब पुरुष ने महिला को अपने माता-पिता से मिलवाया और उससे शादी करने की इच्छा जताई।
जब पटेल ने महिला को बताया कि वह उससे शादी नहीं कर पाएगा, तो उसने उसके खिलाफ IPC की धारा 376, 420 और 506 (2) के तहत FIR दर्ज कराई की, जिसमें उसने शादी का वादा करके उसके साथ बलात्कार करने, धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया। महिला ने दावा किया कि 1999 में हुई पहली शादी से उसके दो बच्चे हैं। आरोपी द्वारा कर्ज दिलाने में मदद करने के बाद उसके उसके साथ घनिष्ठ संबंध हो गए।
शिकायत के मुताबिक, आरोपी ने उससे कहा कि वह अपने पति से तलाक ले ले ताकि वे शादी कर सकें। इसके बाद महिला ने अपने पति से 2017 में 100 रुपये के स्टांप पेपर पर तलाक ले लिया। लेकिन दो साल के रिश्ते के बाद आरोपी अपने वादे से मुकर गया।
कोर्ट का आदेश
सेशन कोर्ट ने महिला के आरोपों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उसे शादी का झूठा वादा करके रिश्ते में आने के लिए मजबूर किया गया था। अदालत ने कहा कि महिला का तलाक वैध नहीं था और आरोपी के साथ उसका विवाह संभव नहीं था। अदालत ने यह भी कहा कि 2017 में कथित घटनाओं के समय महिला की उम्र 36 साल थी और वह दो बच्चों की मां थी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ संबंध बनाने वाली एक विवाहित महिला यह नहीं कह सकती है कि उसने शादी का झूठा वादा करके उसे धोखा दिया है, क्योंकि आरोपी के लिए एक विवाहित महिला से शादी करना संभव नहीं है, जिसने अपनी पहली पत्नी से कानूनी तलाक नहीं लिया है।
अदालत ने आखिरी में कहा कि आरोपी ने पीड़िता को अपने माता-पिता से मिलवाने के लिए ले जाया था, लेकिन उन्होंने शादी के लिए अपनी सहमति नहीं दी। इन परिस्थितियों में यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी ने उसके साथ धोखा किया था। यह शादी का वादा थोपने का तरीका नहीं है।
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