सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को अपनी नाबालिग बेटी की कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे एक कपल से कहा कि आप दोनों को साइकियाट्रिक इवैल्यूएशन (Psychiatric Evaluation) की आवश्यकता है। साथ ही शीर्ष अदालत ने उन्हें काउंसलिंग के लिए गुजरात के अहमदाबाद में स्थित मेंटल हेल्थ अस्पताल में डॉक्टरों के सामने पेश होने का भी निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कपल को पहले काउंसलिंग की जरूरत है।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तीन साल की बेटी को अपनी पत्नी को सौंपने के गुजरात गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat HC) के आदेश को चुनौती देने वाली पति की अपील पर यह आदेश पारित किया। अगस्त में, शीर्ष अदालत ने पत्नी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद उसका चिकित्सा मूल्यांकन (medical evaluation) करने का निर्देश दिया था।
दिल्ली में विमहंस के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट मिलने के बाद शीर्ष अदालत ने उसे किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दिन में 4 घंटे बच्चे के साथ समय बिताने की अनुमति दी थी। इससे पहले एक फैमिली कोर्ट ने पति को यह कहते हुए कस्टडी लेने की इजाजत दे दी थी कि पत्नी अपने “मानसिक संतुलन” की समस्या की कमी के कारण बच्चे की देखभाल नहीं कर सकती है। लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार करते हुए आदेश को रद्द कर दिया कि वह मानसिक रोग से पीड़ित थी।
सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने अलग-अलग रहने वाले कपल को साइकियाट्रिक इवैल्यूएशन के लिए 19 दिसंबर को डॉक्टरों के एक पैनल के सामने पेश होने का निर्देश दिया। कस्टडी विवाद पर फैसला लेने से पहले अदालत रिपोर्ट पर विचार करेगी।
पीठ ने स्पष्ट किया कि जरूरत पड़ने पर अदालत बच्ची को अपने कब्जे में लेकर उसका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए उचित आदेश पारित करेगी। चूंकि दोनों पक्ष बीच का रास्ता निकालने में विफल रहे और अशांत वैवाहिक जीवन के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहे, इसलिए पीठ ने कहा कि उन्हें पहले काउंसलिंग की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा, “आप दोनों को साइकियाट्रिक इवैल्यूएशन और काउंसलिंग की आवश्यकता है। आप बच्चे के जीवन को नष्ट कर रहे हैं और आप दोनों को पति-पत्नी की तरह रहने के बारे में सलाह देने की जरूरत है।” साथ ही शीर्ष अदालत ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (Medical Superintendent) को उनकी जांच के लिए एक डॉक्टर या डॉक्टरों के एक पैनल को नियुक्त करने का निर्देश दिया।
पत्नी की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें किसी अन्य अस्पताल में भेजा जाए, क्योंकि उनके पति का उस अस्पताल से संबंध है। पीठ ने चिकित्सा अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जो डॉक्टर पहले उनका इलाज कर चुके हैं उन्हें पैनल का हिस्सा नहीं बनाया जाए।
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