Shikhar Dhawan Divorce Case: तलाक की कार्यवाही किसी भी व्यक्ति के लिए कड़वी हो सकती है। अगर वह आदमी एक सार्वजनिक शख्सियत है, तो उसे एक सक्षम अदालत द्वारा किसी भी अंतिम फैसले से पहले ही मानहानि और बदनामी का शिकार होना पड़ता है। भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन (Shikhar Dhawan) ने अपनी अलग रह रही पत्नी आयशा मुखर्जी (Aesha Mukerji) को सोशल या प्रिंट मीडिया और दोस्तों एवं रिश्तेदारों सहित अन्य व्यक्तियों के बीच उनके खिलाफ “अपमानजनक और झूठी कंटेंट (Defamatory and False Material)” प्रसारित करने से रोकने के लिए दिल्ली की एक अदालत का दरवाजा खटखटाया।
पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने अब अलग रह रही पत्नी को तलाक की कार्यवाही के दौरान किसी भी तरह की सार्वजनिक टिप्पणी करने से रोक दिया है। कोर्ट ने आयशा मुखर्जी को क्रिकेटर के खिलाफ बदनामी वाले बयान ना देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आयशा को निर्देश दिया है कि वह कहीं भी और कभी भी धवन के खिलाफ बदनामी वाले बयान ना दें।
क्या है पूरा मामला?
पेशे से किकबॉक्सर आयशा मुखर्जी कॉमन फ्रेंड और क्रिकेटर हरभजन सिंह के जरिए शिखर धवन से मिलीं और दोनों ने 2012 में शादी कर ली। इस कपल का एक 9 साल का बेटा जोरावर है। आयशा एक एंग्लो-इंडियन हैं, जिनका जन्म भारतीय पिता और ब्रिटिश मूल की मां से हुआ है। बचपन के शुरुआती दिनों में उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया चला गया था।
आयशा की पहली शादी
शिखर धवन से शादी करने से पहले आयशा की पहली शादी एक ऑस्ट्रेलियाई बिजनेसमैन से हुई थी। उनकी पिछली शादी से उनकी दो बेटियां हैं, जिनका जन्म क्रमशः 2000 और 2005 में हुआ था। सितंबर 2021 में धवन और आयशा ने शादी के आठ साल बाद अलग होने की घोषणा की। आयशा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा था कि मैंने सोचा था कि तलाक एक गंदा शब्द है, जब तक कि मैं 2 बार तलाकशुदा नहीं हो गई।
धवन ने भी इंस्टाग्राम पर हिंदी में एक पोस्ट किया था जो उनके अलगाव की ओर इशारा करता था। उन्होंने लिखा था कि किसी भी मुकाम को पाने के लिए पूरा जान, समझ, दिल लगता है। प्यार होना चाहिए अपना काम के प्रति तभी बरखत आती है और आनंद भी। अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करते रहें।
तलाक का मामला
क्रिकेटर और उनकी पत्नी अगस्त 2020 से अलग रह रहे हैं। धवन ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13(l)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए याचिका भी दायर की है। पत्नी और उनका बच्चा विदेशी नागरिक हैं।
धवन ने कोर्ट का किया रुख
पीठ धवन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपनी अलग रह रही पत्नी के खिलाफ निषेधाज्ञा की मांग की थी, क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि वह उसे धमकी दे रही थी कि वह उसका करियर बर्बाद कर देगी और देश में क्रिकेट अधिकारियों सहित सभी को कुछ जानकारी शेयर कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करेगी। वकील अमन हिंगोरानी के माध्यम से अपनी याचिका में धवन ने दावा किया कि उनकी पत्नी ने पहले ही यह आरोप लगाते हुए मैसेज शेयर किया था कि उन्होंने उसे जीवित रहने के लिए कोई पैसा नहीं दिया और उन्हें अपनी बेटी के लिए पैसे उधार लेने के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने आगे दावा किया कि उनकी पत्नी ने उन पर उनके साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप लगाया और अपने कॉमन फ्रेंड्स, साथी क्रिकेटरों और क्रिकेट अधिकारियों को भी यही बताया। इसके बजाय उन्होंने बताया कि वह बच्चे के स्कूल की फीस, स्कूल यूनिफॉर्म आदि के भुगतान के साथ ऑस्ट्रेलियाई $17,500 प्रति माह (inclusive of mortgage payments) की राशि का भुगतान कर रहे हैं।
धवन के मुताबिक, इन सबके बावजूद उनकी पत्नी ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की दिल्ली कैपिटल्स टीम के मालिक धीरज मल्होत्रा को भी इस तरह के अपमानजनक मैसेज भेजे। याचिका में आगे कहा गया है कि उनकी पत्नी ने दो बार धमकी दी थी कि वह इस तरह की मानहानिकारक जानकारी को सोशल मीडिया और प्रेस पर पोस्ट करके सार्वजनिक कर देगी। इसलिए, धवन ने यह कहते हुए निषेधाज्ञा मांगी कि सोशल मीडिया द्वारा प्रचारित इस तरह की झूठी कंटेंट का कोई भी प्रचार उनकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा, कद और उनके क्रिकेट करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
कोर्ट का आदेश
पटियाला हाउस कोर्ट के जज हरीश कुमार ने इस याचिका पर शिखर धवन की पत्नी आयशा मुखर्जी को सोशल मीडिया पर क्रिकेटर के खिलाफ कुछ भी अपमानजनक पोस्ट नहीं करने या मीडिया या उनके दोस्तों, रिश्तेदारों या किसी अन्य व्यक्ति से कुछ भी नहीं बोलने का आदेश दिया है, जिससे उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो। जज हरीश कुमार ने हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई नागरिक आयशा से कहा कि अगर कोई शिकायत है तो वह केवल भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के सक्षम ही आवाज उठाएं।
कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा सभी को प्रिय होती है और उसे उच्चतम स्तर की संपत्ति के रूप में माना जाता है, क्योंकि भौतिकवादी संपत्ति को नुकसान के बाद वापस प्राप्त किया जा सकता है लेकिन प्रतिष्ठा को एक बार क्षतिग्रस्त होने के बाद वापस नहीं लाया जा सकता है। इसलिए, इसे संरक्षित करना होगा। हालांकि, यह भी उतना ही सच है कि अगर जज ने 1 फरवरी को पारित आदेश में कहा कि किसी के पास किसी के खिलाफ वैध शिकायत है, तो उसे अपनी शिकायत को संबंधित प्राधिकरण से बाहर निकालने से रोका नहीं जा सकता है।
अदालत ने कहा कि अगर आयशा को धवन के खिलाफ कोई “वास्तविक” शिकायत है, तो उसे संबंधित प्राधिकरण को कोई शिकायत करने से नहीं रोका जा सकता है। लेकिन निश्चित रूप से उसके खिलाफ अपनी शिकायत को उपयुक्त प्राधिकारी के पास जाने से पहले ही दोस्तों, रिश्तेदारों, पार्टियों के साथियों के साथ शेयर करने से रोका जा सकता है। अदालत ने उन्हें बच्चे और उसके पिता के बीच प्रतिदिन 30 मिनट के लिए वीडियो कॉल की सुविधा देने का भी निर्देश दिया।
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