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Home हिंदी कानून क्या कहता है

दिल्ली HC ने PMLA के आरोपी को बेटे के एडमिशन के लिए विदेश जाने की दी अनुमति, कहा- “ट्रायल के दौरान किसी व्यक्ति को स्पेशल मोमेंट से वंचित नहीं कर सकते”

Team VFMI by Team VFMI
August 18, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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voiceformenindia.com

Husband Making Friends At Work Not Cruelty, Merely Drinking Alcohol Daily Doesn't Make Him Alcoholic When No Untoward Incident: Delhi High Court

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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक आरोपी को अपने बेटे के एडमिशन के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने विदेश जाने की अनुमति यह देखते हुए दी कि किसी व्यक्ति को “जीवन में छोटी-छोटी खुशियों के स्पेशल मोमेंट” से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वह आरोपी हो और मुकदमे का सामना कर रहा हो। अदालत ने कहा कि बच्चे का दाखिला चाहें स्कूल में हो या कॉलेज/विश्वविद्यालय में एक ऐसा क्षण होता है जिसे माता-पिता और बच्चे हमेशा संजोकर रखते हैं। यह एक एहसास है।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक, हाई कोर्ट ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली जुनेजा की याचिका पर सुनवाई कर रहे थी, जिसमें उन्हें अपने बेटे के एडमिशन, अवकाश और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए 26 अगस्त से 19 सितंबर तक कनाडा, नॉर्वे और लंदन की यात्रा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने जुनेजा के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने में विफल रहे कि यूनिवर्सिटी में उनके बेटे के एडमिशन के लिए उनकी उपस्थिति आवश्यक है। यह भी देखा गया कि पहले भी बेटे के एडमिशन के संबंध में उनके इसी तरह के आवेदन खारिज कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने अपने विवाद के समर्थन में जाली दस्तावेज दाखिल किए। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाई कोर्ट

जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने जुनेजा को आंशिक राहत देते हुए कहा कि अदालत को किसी व्यक्ति की उपस्थिति सुनिश्चित करने और मुकदमे का सामना करने के लिए उपलब्ध नहीं होने पर कार्यवाही में भाग लेने के लिए उस पर लगाई गई किसी भी शर्त के साथ उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संतुलित करना होगा। अदालत ने कहा, “बच्चे का एडमिशन चाहें स्कूल में हो या कॉलेज में यह एक ऐसा क्षण होता है, जिसे माता-पिता और बच्चे हमेशा संजोकर रखते हैं। यह एकजुटता की भावना के साथ-साथ एक-दूसरे के साथ उपस्थिति मात्र से समर्थन की भावना है, जिसकी प्रत्येक बच्चे से अपेक्षा की जाती है। भले ही कोई व्यक्ति आरोपी हो और मुकदमे का सामना कर रहा हो, उसे आमतौर पर जीवन में छोटी-छोटी खुशियों के इन विशेष क्षणों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।”

हाई कोर्ट ने आगे कहा कि यह मानना कि बेटे को बड़े होने पर यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए पिता के समर्थन की आवश्यकता नहीं हो सकती है, व्यावहारिक जीवन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर देगा कि बच्चा माता-पिता के लिए हमेशा बच्चा होता है और होना चाहिए। अगर परिस्थितियां उचित हों तो अनुमति दी जाए, जब वह दूसरे नए देश में एक नए जीवन में प्रवेश कर रहा हो और उच्च अध्ययन की यात्रा कर रहा हो।

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले की परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के पिछले आचरण को लगभग 20 बार विदेश जाने की अनुमति दी गई और ऐसे आदेशों की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया और भारत वापस लौटने पर उसे जाने की अनुमति देते समय इस अदालत के दिमाग में विचार आया था। आदेश में आगे कहा गया है कि जुनेजा ने कभी भी विदेश जाने की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया और विदेश जाने के उद्देश्य से उन पर लगाई गई किसी भी शर्त का उल्लंघन किए बिना समय पर भारत लौट आए।

इसके साथ ही अदालत ने परवीन जुनेजा को अपने बेटे के एडमिशन के लिए 15 दिनों के लिए कनाडा की यात्रा करने की अनुमति दी, इस शर्त के तहत कि वह अपनी यात्रा से पहले संपूर्ण यात्रा कार्यक्रम और ठहरने का डिटेल्स देगा और एक लाख रुपये की FDR रजिस्ट्री में जमा करनी होगी।

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