महाराष्ट्र के पुणे (Pune) में सीनियर सिटीजन (Senior Citizens) के एक कार्यक्रम में अपने जीवन साथियों को खो चुके बुजुर्गों को लिव-इन रिलेशनशिप का सुझाव दिया गया। अकेले रह रहे सीनियर सिटीजन्स के लिए नए साथियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालने के लिए पुणे में आयोजित एक वार्ता में लिव-इन रिलेशनशिप को एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिस पर वे विचार कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
टुगेदरनेस: ए सेकेंड चांस (Togetherness: A Second Chance) टाइटल से यह कार्यक्रम 17 सितंबर को सीनियर सिटीजन्स के लिए सहायता सेवा, अश्वस्त सर्विसेज द्वारा नवी पेठ के एक वृद्धाश्रम, निवारा में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य लिव-इन रिलेशनशिप जैसी अवधारणाओं से अपरिचित लोगों के डर और झिझक को दूर करना था। वार्ता में लगभग 65 सीनियर सिटीजन्स शामिल हुए।
कार्यक्रम में भाग लेने वालों में से एक सामाजिक कार्यकर्ता सरिता अवाद ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि कम उम्र में किसी व्यक्ति में निहित मूल्यों के अनुसार, किसी रिश्ते को निभाने के लिए शादी को आवश्यक माना जाता है। उस विचार को पीछे छोड़ने और साहस जुटाने और लिव-इन रिलेशनशिप की ओर कदम बढ़ाने के लिए साहस की आवश्यकता होती है। खासकर जब समाज में एक वर्जना बनी रहती है।
सामाजिक कार्यकर्ता माधव दामले और कानूनी विशेषज्ञ एडवोकेट नीलिमा मैसूर ने लिव-इन रिश्तों के मानसिक, सामाजिक और कानूनी पहलुओं के बारे में बात की। लिव-इन रिलेशनशिप पर विचार कर रही बुजुर्ग महिलाओं की चिंताओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने बच्चों की नकारात्मक प्रतिक्रियाओं और बुरे परिणाम के डर पर प्रकाश डाला।
माधव दामले ने कहा कि यहां तक कि जब हम छोटे होते हैं, तब भी हम नहीं जानते कि हम जिस शादी में कदम रख रहे हैं वह कैसी होगी। लेकिन हम अभी भी साहस जुटाते हैं और रिश्ते को बनाए रखने के लिए तैयार हैं। लेकिन बुढ़ापे में नए रिश्ते को कायम रखना मुश्किल हो सकता है। यह डरों में से एक है। उन्होंने अवाद ने सीनियर सिटीजन्स को बड़ा कदम उठाने से पहले चीजों को समय देने की सलाह दी।
दामले ने कहा कि जब दो लोग मिलते हैं और एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं तो इससे मदद मिलती है। आज हमारे पास कम्युनिकेशन के बहुत सारे साधन हैं, जैसे व्हाट्सएप और ईमेल इत्यादी। उनका उपयोग संवाद करने और एक-दूसरे को और अधिक जानने के लिए किया जा सकता है।
अवद ने आगे कहा कि किसी की वित्तीय स्थिति के बारे में ईमानदार होना और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना भी चीजों को चलाने के लिए आवश्यक है। परिवारों और दोस्तों के साथ ईमानदार बातचीत से किसी के सामाजिक दायरे पर नकारात्मक प्रभावों को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
लिव-इन रिलेशनशिप को प्रदान की जाने वाली कानूनी सुरक्षा पर जोर देते हुए मैसूर ने कहा कि बुजुर्गों के अधिकारों और चिंताओं को ध्यान में रखा गया है। दामले ने उन वरिष्ठ नागरिकों की कहानियां शेयर कीं, जिन्हें विवाह के माध्यम से साथ मिला। लेकिन उन्होंने युवा सीनियर सिटीजन्स, विशेष रूप से उनके 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सलाह दी कि वे अकेले रहने के बजाय पुनर्विवाह या साथ रहने पर विचार करें। Aashwast की सह-संस्थापक प्रीति दामले और शीतल वैद्य ने सीनियर सिटीजन्स से बातचीत की। Aashwast सीनियर सिटीजन्स की एकता और कल्याण की दिशा में काम करता है।
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