• होम
  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन के लिए करें संपर्क
  • कैसे करें संपर्क?
Voice For Men
Advertisement
  • होम
  • ताजा खबरें
  • कानून क्या कहता है
  • सोशल मीडिया चर्चा
  • पुरुषों के लिए आवाज
  • योगदान करें! (80G योग्य)
  • Voice for Men English
No Result
View All Result
  • होम
  • ताजा खबरें
  • कानून क्या कहता है
  • सोशल मीडिया चर्चा
  • पुरुषों के लिए आवाज
  • योगदान करें! (80G योग्य)
  • Voice for Men English
No Result
View All Result
Voice For Men
No Result
View All Result
Home हिंदी कानून क्या कहता है

आर्टिकल 21 के तहत ‘स्वयंवर’ मौलिक अधिकार है, इसकी जड़ें रामायण और महाभारत में खोजी जा सकती हैं: पंजाब एंड हरियाणा HC

Team VFMI by Team VFMI
March 1, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Punjab and Haryana High Court objects to married man and divorced woman living together; asks them to pay ₹25,000 to man's wife

28
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterWhatsappTelegramLinkedin

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ‘स्वयंवर’ यानी अपनी पसंद से शादी करना कोई आधुनिक घटना नहीं है और इसकी जड़ें प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं, जिसमें रामायण महाभारत जैसी पवित्र पुस्तकें भी शामिल हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने यह कहते हुए कि आर्टिकल 21 इस मानवाधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करता है, आरोपी व्यक्ति के खिलाफ लड़की का अपहरण करने के आरोप में दर्ज FIR रद्द कर दी।

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक, हाई कोर्ट टेकचंद की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने IPC की धारा 363 और 366-A के तहत लड़की के पिता द्वारा उसके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया। याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि उसने लड़की को शादी के बहाने उसे बहला-फुसला कर भगाया।

दूसरी ओर, टेकचंद (याचिकाकर्ता) ने अदालत के समक्ष अपना तर्क रखते हुए बताया कि उसने और प्रतिवादी नंबर 3 (लड़की) ने जुलाई 2019 में शादी की और उनके दो बच्चे हैं। राज्य ने इस तथ्य पर विवाद नहीं किया। उसकी तरफ से यह भी प्रस्तुत किया गया कि वे दोनों अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अदालत गए।

हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर ध्यान देने और कानून के अनुसार कार्य करने के लिए एसएसपी मुक्तसर साहिब को निर्देश के साथ मामला निपटाया। अदालत ने देखा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही लड़की से शादी कर ली है और वे दोनों खुशी-खुशी साथ रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य को विधिवत विवाहित जोड़े के जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष वयस्क हैं और उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ विवाह किया और वे खुशी-खुशी साथ रह रहे हैं। इसलिए अदालतों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित किसी को भी उनकी गलती के बिना उनके जीवन को परेशान करने का अधिकार नहीं है।

पीठ ने आगे कहा, “उन्हें अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का अधिकार है। उनके दो बच्चे हैं। लंबित आपराधिक मामले के साथ कोई भी खुशहाल जीवन नहीं जी सकता। राज्य को विधिवत विवाहित जोड़े के जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। आपराधिक कार्यवाही के जारी रहने से न केवल याचिकाकर्ता का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा, बल्कि प्रतिवादी नंबर 3 और उनके बच्चों के जीवन में भी अशांति की पूरी संभावना है।”

कोर्ट ने आगे ने टिप्पणी की, “आपराधिक कार्यवाही के जारी रहने से न केवल याचिकाकर्ता का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा, बल्कि प्रतिवादी नंबर 3 और उनके बच्चों के जीवन में भी अशांति की पूरी संभावनाएं हैं। हमारा राज्य कल्याणकारी राज्य है। हमारे देश में शहरी आबादी के छिटपुट मामलों को छोड़कर, यह आदमी ही है, जो कमा रहा है और अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल कर रहा है।”

बता दें कि भारतीय संस्कृति में जाति और धर्म के बावजूद, विवाह न तो समझौता है और न ही अनुबंध, बल्कि यह दो परिवारों की पवित्र गांठ है, न्यायालय ने इस प्रकार कहा, “यह विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों का भौतिक मिलन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र संस्था है, जहां दो परिवार एक हो जाते हैं। विवाह के महत्व को इस तथ्य से और समर्थन मिलता है कि बिना विवाह के एक जोड़े से बच्चा नहीं होता। जैसा कि विधिवत विवाहित जोड़े से बच्चे के रूप में पहचाना जाता है।” इसके साथ ही उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने विचाराधीन FIR को रद्द करने वाली याचिका को अनुमति दे दी।

वौइस् फॉर मेंस के लिए दान करें!

पुरुषों के लिए समान अधिकारों के बारे में ब्लॉगिंग करना या जेंडर पक्षपाती कानूनों के बारे में लिखना अक्सर विवादास्पद माना जाता है, क्योंकि कई लोग इसे महिला विरोधी मानते हैं। इस वजह है कि अधिकांश ब्रांड हमारे जैसे पोर्टल पर विज्ञापन देने से कतराते हैं।

इसलिए, हम दानदाताओं के रूप में आपके समर्थन की आशा करते हैं जो हमारे काम को समझते हैं और इस उद्देश्य को फैलाने के इस प्रयास में भागीदार बनने के इच्छुक हैं। मीडिया में एक तरफा जेंडर पक्षपाती नेगेटिव का मुकाबला करने के लिए हमारे काम का समर्थन करें।

योगदान करें! (80G योग्य)

हमें तत्काल दान करने के लिए, ऊपर "अभी दान करें" बटन पर क्लिक करें। बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दान के संबंध में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। click here.

सोशल मीडियां

Team VFMI

Team VFMI

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

योगदान करें! (80G योग्य)
  • Trending
  • Comments
  • Latest
mensdayout.com

पत्नी को 3,000 रुपए भरण-पोषण न देने पर पति को 11 महीने की सजा, बीमार शख्स की जेल में मौत

February 24, 2022
hindi.mensdayout.com

छोटी बहन ने लगाया था रेप का झूठा आरोप, 2 साल जेल में रहकर 24 वर्षीय युवक POCSO से बरी

January 1, 2022
hindi.mensdayout.com

Marital Rape Law: मैरिटल रेप कानून का शुरू हो चुका है दुरुपयोग

January 24, 2022
hindi.mensdayout.com

राजस्थान की अदालत ने पुलिस को दुल्हन के पिता पर ‘दहेज देने’ के आरोप में केस दर्ज करने का दिया आदेश

January 25, 2022
hindi.mensdayout.com

Swiggy ने महिला डिलीवरी पार्टनर्स को महीने में दो दिन पेड पीरियड लीव देने का किया ऐलान, क्या इससे भेदभाव घटेगा या बढ़ेगा?

1
voiceformenindia.com

पंजाब एंड हरियाणा HC ने विवाहित पुरुष और तलाकशुदा महिला के साथ रहने पर जताई आपत्ति, व्यक्ति की पत्नी को 25,000 रुपये देने का दिया आदेश

0
hindi.mensdayout.com

Maharashtra Shakti Bill: अब महाराष्ट्र में यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज करने वालों को होगी 3 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना

0
https://hindi.voiceformenindia.com/

पंजाब और हरियाणा HC ने 12 साल से पत्नी से अलग रह रहे पति की याचिका को किया खारिज, कहा- ‘तुच्छ आरोप तलाक का आधार नहीं हो सकते’, जानें क्या है पूरा मामला

0
voiceformenindia.com

पंजाब एंड हरियाणा HC ने विवाहित पुरुष और तलाकशुदा महिला के साथ रहने पर जताई आपत्ति, व्यक्ति की पत्नी को 25,000 रुपये देने का दिया आदेश

October 9, 2023
voiceformenindia.com

पतियों पर हिंसा का आरोप लगाने वाली महिलाओं को मध्यस्थता के लिए भेजने के खिलाफ PIL दायर

October 9, 2023
voiceformenindia.com

पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को स्वीकार करने वाली पत्नी बाद में तलाक के मामले में इसे क्रूरता नहीं कह सकती: दिल्ली HC

October 9, 2023
voiceformenindia.com

बहू द्वारा उत्पीड़न की शिकायत के बाद TISS की पूर्व डॉयरेक्टर, उनके पति और बेटे पर मामला दर्ज

October 9, 2023

सोशल मीडिया

नवीनतम समाचार

voiceformenindia.com

पंजाब एंड हरियाणा HC ने विवाहित पुरुष और तलाकशुदा महिला के साथ रहने पर जताई आपत्ति, व्यक्ति की पत्नी को 25,000 रुपये देने का दिया आदेश

October 9, 2023
voiceformenindia.com

पतियों पर हिंसा का आरोप लगाने वाली महिलाओं को मध्यस्थता के लिए भेजने के खिलाफ PIL दायर

October 9, 2023
voiceformenindia.com

पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को स्वीकार करने वाली पत्नी बाद में तलाक के मामले में इसे क्रूरता नहीं कह सकती: दिल्ली HC

October 9, 2023
voiceformenindia.com

बहू द्वारा उत्पीड़न की शिकायत के बाद TISS की पूर्व डॉयरेक्टर, उनके पति और बेटे पर मामला दर्ज

October 9, 2023
वौइस् फॉर मेंन

VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

सोशल मीडिया

केटेगरी

  • कानून क्या कहता है
  • ताजा खबरें
  • पुरुषों के लिए आवाज
  • सोशल मीडिया चर्चा
  • हिंदी

ताजा खबरें

voiceformenindia.com

पंजाब एंड हरियाणा HC ने विवाहित पुरुष और तलाकशुदा महिला के साथ रहने पर जताई आपत्ति, व्यक्ति की पत्नी को 25,000 रुपये देने का दिया आदेश

October 9, 2023
voiceformenindia.com

पतियों पर हिंसा का आरोप लगाने वाली महिलाओं को मध्यस्थता के लिए भेजने के खिलाफ PIL दायर

October 9, 2023
  • होम
  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन के लिए करें संपर्क
  • कैसे करें संपर्क?

© 2019 Voice For Men India

No Result
View All Result
  • होम
  • ताजा खबरें
  • कानून क्या कहता है
  • सोशल मीडिया चर्चा
  • पुरुषों के लिए आवाज
  • योगदान करें! (80G योग्य)
  • Voice for Men English

© 2019 Voice For Men India