पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab & Haryana High Court) के जस्टिस फतेह दीप सिंह ने एक महिला के आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उसके पति द्वारा दायर वैवाहिक विवाद मामले को उसके गृहनगर मोगा में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा है कि यह कानून के तहत सबसे अधिक दुरुपयोग किया जाने वाला प्रावधान है जिसका उपयोग निष्पक्ष सेक्स द्वारा गरीब पति को परेशान करने के लिए किया जा रहा है, जो अपने वैवाहिक अधिकारों की तलाश कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
एक महिला ने अपने वकील के माध्यम से एक वैवाहिक मामले में ट्रांसफर याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी दो नाबालिग बेटियों की देखभाल करना है। इस वजह से उसके लिए प्रतिदिन सुनवाई में शामिल होना संभव नहीं है। उसने मामले को फरीदकोट फैमिली कोर्ट से मोगा की अदालत (जो कि केवल 50 किलोमीटर दूर है) में ट्रांसफर करने की मांग की। पति ने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के अपने अधिकार का आह्वान किया था और तर्क देने के लिए पत्नी ने भरण-पोषण की मांग की थी।
हाई कोर्ट
जस्टिस फतेह दीप सिंह (Justice Fateh Deep Singh) ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत एक शिकायत स्वयं पत्नी द्वारा विवाह
के प्रति अपने दायित्वों को निभाने में मितव्ययिता का सूचक है। न्यायमूर्ति सिंह ने टिप्पणी करते हुए आगे कहा कि यह सामान्य ज्ञान की बात है कि फरीदकोट और मोगा के बीच की दूरी मुश्किल से 30 मिनट की है।
कोर्ट ने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों के मनोरंजन में धीमी गति से माना जाता है, क्योंकि यह कानून के तहत सबसे अधिक दुरुपयोग के प्रावधान हैं जिनका उपयोग निष्पक्ष सेक्स द्वारा गरीब पति को परेशान करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जो अपने वैवाहिक अधिकारों की तलाश करने की कोशिश कर रहा है। हाई कोर्ट ने ट्रांसफर आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की हर रोज उपस्थिति की जरूरत नहीं है और वह अपने वकील को तदनुसार निर्देश दे सकती है।
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