उत्तर प्रदेश के उन्नाव (Unnao) के एक व्यक्ति को जिस महिला की हत्या के आरोप में 14 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी, वह बाद में महाराष्ट्र में जीवित और बेफिक्री से काम करते हुए पाई गई है। यह मामला अक्टूबर 2020 का है।
क्या है पूरा मामला?
22 मार्च 2018 को सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला जुराखानखेड़ा निवासी योगेंद्र कुमार ने इसी मोहल्ले के रहने वाले प्रमोद वर्मा के खिलाफ आसिवन थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। कुमार ने वर्मा पर उनकी पत्नी श्वेता गुप्ता के अपहरण का आरोप लगाया था।
12 दिन बाद 2 अप्रैल 2018 को थाना क्षेत्र के शेरपुर कलां गांव के पास एक अज्ञात महिला का जला हुआ शव मिला। पति कुमार को पहचान के लिए बुलाया गया था, और उन्होंने दावा किया कि शरीर पर बने सामानों और कपड़ों के आधार पर वही उनकी पत्नी है।
इसके बाद कथित आरोपी वर्मा को तत्कालीन एसओ सियाराम वर्मा ने गिरफ्तार कर लिया और स्थानीय अदालत में पेश किया। जहां जज जयशंकर सिंह ने उन्हें जेल की सजा सुनाई। प्रमोद ने 14 महीने जेल में बिताए, जबकि अपने मुकदमे के लिए वह अदालत की तारीखों में हमेशा उपस्थित रहे।
महिला जीवित मिली
घटनाओं के एक चौंकाने वाले मोड़ में सच्चाई तब सामने आई जब मुंबई में एक बैंक अकाउंट का एटीएम कार्ड महिला के मूल गांव के पते पर पहुंच गया, क्योंकि उसका आधार (पहचान) कार्ड उसी पर रजिस्टर्ड था।
महिला के परिवार से एटीएम कार्ड की जानकारी मिलने के बाद एसओ राजेश सिंह ने कोर्ट से जली महिला की डीएनए रिपोर्ट अपने हाथ में ली। इसके बाद श्वेता की बेटी गौरी और अन्य रिश्तेदारों का डीएनए टेस्ट कराया गया। वही मृत महिला के शरीर के डीएनए से मेल नहीं खाया और इसने पुलिस को अपनी जांच फिर से खोलने के लिए मजबूर किया।
तलाशी शुरू करने के बाद महिला आसिवन के मियागंज चौराहे के पास जिंदा मिली। मामले का भंडाफोड़ करने वाली टीम को एसपी आनंद कुलकर्णी ने सम्मानित किया और 10 हजार रुपये का इनाम दिया।
महिला की सफाई
श्वेता ने अपनी सफाई में कहा कि उन्हें श्रद्धा और मुन्नू बाबू गुप्ता ने गोद लिया था। आठवीं कक्षा पूरी करने के बाद उसकी शादी कुमार से कर दी गई। पति के व्यवहार से नाखुश वह परीक्षा देने के बहाने घर से निकल गई।
जब वह मुंबई पहुंची तो शबाना नाम की महिला ने श्वेता को महाराष्ट्र के अहमदनगर में नौकरी दिलवाई। बाद में वह अविनाश नाम के एक व्यक्ति के साथ रहने लगी।
अभी भी लावारिस है शव
पुलिस के लिए अब मुख्य चुनौती यह जांचना है कि वह शव किसका था। एसपी ने कहा कि अब प्रमोद वर्मा को जेल से रिहा किया जाएगा और असली दोषियों के खिलाफ भी विस्तृत जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एक मासूम के 14 महीने जेल में बिताए गए बहुमूल्य समय का क्या होगा? झूठे आरोप में आरोपी को गिरफ्तार कराने वाले पति की जांच क्यों नहीं होती? शव के डीएनए और लापता पत्नी का मिलान नहीं करने वाले अधिकारियों से पूछताछ क्यों नहीं हो रही है। भारत में न्याय एक सापेक्ष शब्द है।
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ARTICLE IN ENGLISH:
Unnao Woman Found Alive In Maharashtra After Man Spends 14-Months In Jail For Her Murder
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