उत्तराखंड सरकार ने फरवरी 2021 में उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम (Uttarakhand Zamindari Abolition and Land Reforms Act) में संशोधन करते हुए महिलाओं को कृषि भूमि में बराबरी का हक देने संबंधी अध्यादेश जारी किया था। उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की अध्यक्षता में हुई एक कैबिनेट की बैठक में यह अध्यादेश पारित किया गया था।
इस अध्यादेश के बाद महिलाओं को अब उनके पति की पैतृक संपत्ति में सह-खातेदार बनाया जाएगा। एक बयान में बताया गया था कि करीब 35 लाख महिलाओं को इसका फायदा मिलेगा। इसका मकसद महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वतंत्र बनाना है। अध्यादेश के तहत बेटियों का अपने पिता की जमीन पर मालिकाना हक होगा। इसी प्रकार पत्नी भी अपने पति की भूमि की संयुक्त स्वामी होगी।
सरकार का बयान
उत्तराखंड सरकार के तत्कालीन प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा था कि महिलाएं छोटा व्यापार करना चाहती हैं, तो उनको बैंक से कर्ज देने में कठिनाई आती थी। इसीलिए हमने महिलाओं को पति की पैतृक भूमि में सह-खातेदार बनाया है।
उन्होंने आगे कहा कि पैतृक संपत्ति जब बेटे के पास आएगी, तो बहू सह-खातेदार हो जाएगी। उसके बाद के कायदे कानून वही हैं कि संपत्ति फिर बच्चों को मिलेगी। इससे महिलाओं को सम्मान मिलेगा और काम करने के लिए आर्थिक स्वतंत्रता भी मिलेगी।
एक सरकारी बयान में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य उन महिलाओं को सुविधा प्रदान करना है जो विशेष रूप से राज्य के पहाड़ी इलाकों में अपने पति या पिता के स्वामित्व वाले क्षेत्रों में काम कर रही हैं। अब तक उत्तराखंड में भूमि के स्वामित्व के अधिकार परिवार में पुरुषों को ट्रांसफर किए जाते हैं जो बाद में उनके बेटों को दिए जाते हैं।
तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि उत्तराखंड ने अन्य राज्यों का अनुसरण करने के लिए एक मिसाल कायम की है। हम समान भागीदारी की बात करते हैं और यह अध्यादेश महिलाओं को समान भागीदारी देता है। उन्होंने कहा था कि यह महिलाओं को उनके पति की पैतृक संपत्ति में सह-स्वामित्व का अधिकार देता है।
तलाक की स्थिति में अध्यादेश में क्या है?
अगर कोई महिला तलाक के लिए केस फाइल करती है और किसी और से शादी कर लेती है तो उसे अपने पहले पति के स्वामित्व वाली भूमि का सह-मालिक नहीं माना जाएगा। हालांकि, अगर उसका तलाकशुदा पति उसके वित्तीय खर्चों को वहन करने में असमर्थ है तो महिला को सह-मालिक होने की अनुमति होगी। साथ ही, अगर तलाकशुदा महिला के कोई बच्चा नहीं है या उसका पति 7 साल से लापता है, तो वह अपने पिता के स्वामित्व वाली जमीन की सह-मालिक हो सकती है।
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