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Home हिंदी कानून क्या कहता है

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने विवाहित महिला को लिव-इन पार्टनर के साथ रहने की दी अनुमति

Team VFMI by Team VFMI
June 20, 2023
in कानून क्या कहता है, हिंदी
0
voiceformenindia.com

Rape law misused like a weapon by women in modern society: Uttarakhand High Court

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देहरादून के एक जिम ट्रेनर द्वारा अपनी “लापता” पत्नी के संबंध में उत्तराखंड हाई कोर्ट (Uttarakhand high court) में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान महिला अदालत में पेश हुई और कहा कि वह अपने पति, 10 साल के बेटे और छह साल की बेटी को देहरादून में छोड़ चुकी है और अब वह फरीदाबाद में अपने लिव-इन पार्टनर के साथ रह रही थी, जिससे उसकी मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई थी। इसके बाद कोर्ट ने उसे अपने लिव-इन पार्टनर के साथ रहने की अनुमति दे दी।

क्या है पूरा मामला?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कपल ने फरवरी 2012 में शादी की थी, लेकिन कुछ सालों बाद में 37 वर्षीय महिला ने फरीदाबाद में एक व्यक्ति के साथ एक्सट्रामैरिटल अफेयर में रहने लगी और 7 अगस्त, 2022 को अपने परिवार को छोड़ दिया। इसके बाद वह फरीदाबाद में लिव-इन पार्टनर के साथ हमेशा के लिए रहने लगी, जहां उसके माता-पिता भी रहते हैं। महिला ने वहां से लौटने से इनकार कर दिया। महिला ने अदालत से कहा कि उसके पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। वह अब उसके साथ नहीं रहना चाहती।

हाई कोर्ट

जस्टिस पंकज पुरोहित और मनोज तिवारी की खंडपीठ ने महिला को अपनी जिंदगी जीने के तरीके के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता के वकील अरुण कुमार शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एडल्ट्री को अपराध की कैटेगरी से बाहर किए जाने के बावजूद वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, क्योंकि ऐसा फैसला विवाह संस्था के लिए खतरनाक होगा।

45 वर्षीय जिम ट्रेनर द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी, जिसमें देहरादून और फरीदाबाद के एसएसपी को अदालत के समक्ष कॉर्पस (उनकी पत्नी) को पेश करने और “अवैध कस्टडी” से “उसे मुक्त करने” के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

हाई कोर्ट ने 4 मई को देहरादून और फरीदाबाद के पुलिस प्रमुखों को अदालत में कॉर्पस की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। महिला अदालत में पेश हुई और कहा कि वह “अपनी मर्जी से” फरीदाबाद गई थी। इसके बाद कोर्ट ने उपरोक्त आदेश दिया।

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VFMI ने पुरुषों के अधिकार और लिंग पक्षपाती कानूनों के बारे में लेख प्रकाशित किए.

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