राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद (Ghaziabad) के एक महिला थाने के पूरे स्टाफ पर कथित रूप से जानबूझकर गर्भपात के आरोप को एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ क्रूरता और दहेज उत्पीड़न के आरोप में दायर शिकायत में कथित तौर पर शामिल करने का मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला के पति के खिलाफ दर्ज FIR में IPC की एक अतिरिक्त धारा लगाई गई थी।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लोहिया नगर स्थित थाने में करीब 20-25 स्टाफ है। उन पर अपने पति पर आरोप लगाने वाली महिला के साथ शिकायत दस्तावेज में छेड़छाड़ कर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। फैमिली काउंसलिंग सेंटर की इंचार्ज नेहा चौहान ने महिला थाने के सभी कर्मचारियों और राजनगर एक्सटेंशन निवासी नीतू सोलंकी के खिलाफ तहरीर बदलने की संगीन धारा में केस थाना सिहानी गेट में दर्ज कराया है।
आरोप है कि नीतू की ओर से दी गई तहरीर को बदलकर पुलिस ने अपनी तरफ से गर्भपात कराने का आरोप जोड़ दिया। नीतू ने अपने पति प्रवीन चौधरी के खिलाफ तहरीर दी थी। प्रवीन ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत तहरीर निकलवाई तो उसमें बदलाव करके संगीन धारा लगाने के खेल का खुलासा हुआ।
महिला ने अपनी शिकायत में या काउंसलिंग के दौरान गर्भपात के बारे में कुछ नहीं कहा। अक्टूबर के अंत में RTI दायर करने के बाद पति को इस बात का पता चला। इसके बाद उन्होंने नेहा चौहान (काउंसलर) से भी संपर्क किया, जिन्होंने महिला और महिला थाने के पूरे स्टाफ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
नेहा चौहान ने बताया मई के महीने में नीतू सोलंकी ने प्रवीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर दोनों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया। इसकी तारीख पर नीतू तो आई लेकिन प्रवीन नहीं आया। इससे तय हो गया कि दोनों के बीच समझौते की गुंजाइश नहीं है। नीतू ने कहा कि वह पति के खिलाफ केस दर्ज कराना चाहती है। उसने काउंसलिंग सेंटर पर तहरीर दे दी। यह तहरीर काउंसलिंग सेंटर से महिला थाना भेजी गई।
गर्भपात कराने की धारा 312 जोड़ने का आरोप
इसमें दहेज उत्पीड़न, पिटाई करने, धमकी देने, अपशब्द कहने और बंधक बनाकर रखने के आरोप थे। इनके आधार पर दहेज उत्पीड़न अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498 A, 506, 506 और 342 के तहत केस दर्ज किया जाना था, लेकिन पुलिस ने जो FIR दर्ज की, उसमें एक और धारा लगाई गई। यह थी गर्भपात कराने की धारा 312…।
प्रवीन को काउंसलिंग सेंटर से जो नोटिस जारी किया गया था, उसमें गर्भपात का आरोप नहीं था। इस पर उसे शक हुआ। इसके बाद उसने काउंसलिंग सेंटर से आरटीआई के तहत नीतू की दी हुई तहरीर निकलवाई। इसमें भी गर्भपात का आरोप नहीं था। फिर उसने काउंसलिंग सेंटर पर इसकी शिकायत की। जबरन गर्भपात कराने की धारा में दोष सिद्ध होने पर सात साल कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
SHO किरण राज ने TOI को बताया कि अगर थाने का कोई स्टाफ सदस्य धोखाधड़ी में शामिल है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दुबे ने कहा, “दूसरा पेज बदल दिया गया था और पति के खिलाफ गर्भपात की धारा का उल्लेख किया गया था।” पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (लोक सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल जांच चल रही है।
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