गुजरात के गांधीनगर जिले की एक अदालत ने 30 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पत्नी द्वारा वैवाहिक मामले दर्ज करना क्रूरता नहीं कहा जा सकता है और तलाक इस आधार पर नहीं दिया जा सकता है कि एक महिला अपने पति के खिलाफ मामले दर्ज कराना जारी रखती है। यह मामला जुलाई 2021 का है।
क्या है पूरा मामला?
चांदखेड़ा क्षेत्र के रहने वाले इस कपल ने जून 2015 में शादी की थी। बाद में साल 2017 में पति ने पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए गांधीनगर के एक सीनियर सिविल जज की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी।
पति का आरोप
व्यक्ति ने अपनी पत्नी पर अपने ससुराल वालों के साथ तालमेल नहीं बिठाने और अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ लगातार बहस करने का आरोप लगाया। उसने यह भी आरोप लगाया कि 2016 में गर्भवती होने पर उसने गर्भपात के लिए दबाव डाला।
पत्नी का आरोप
एक काउंटर के रूप में पत्नी ने दावा किया कि उसके ससुराल वालों ने उसे गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मजबूर किया।
अदालत के मामले
पति ने कहा कि उनकी पत्नी द्वारा दायर कई मुकदमों के कारण, उनके परिवार और खुद को प्रताड़ित किया गया था और इस दौरान उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ था। पति ने कहा कि उसकी पत्नी ने चांदखेड़ा पुलिस थाने में अहमदाबाद फैमिली कोर्ट में गांधीनगर में मजिस्ट्रेट की अदालत में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था, जिसमें उसे भरण-पोषण का भुगतान करने का भी आदेश दिया था। बाद में महिला ने भरण-पोषण की राशि वसूल करने के लिए दूसरा अनुरोध भी दायर किया।
अहमदाबाद कोर्ट
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने पति के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसकी पत्नी के व्यवहार संबंधी मुद्दों के संबंध में कोई सबूत नहीं है। इस तरह उसके दावों की पुष्टि नहीं की जा सकती। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तलाक की याचिका खारिज करते हुए कहा कि केवल घरेलू हिंसा का आवेदन और भरण-पोषण का आवेदन (जिसके लिए वह कानूनी रूप से हकदार है) दाखिल करना और जिसमें वह अपना मामला साबित करने में सफल रही है, को क्रूरता नहीं कहा जा सकता है।
https://mensdayout.com/wife-filing-multiple-matrimonial-cases-is-not-cruelty-against-husband-ahmedabad-court/
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