14 फरवरी, 2019… आखिर इस तारीख को कौन भारतीय भूल सकता है? यह वही दिन था, जब जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर तेजी से आगे बढ़ रहे CRPF जवानों के काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमला हुआ और भारत के 40 से अधिक हमारे वीर जवान शहीद हो गए। पुलवामा जिले के आवंतिपोरा के पास लेथपोरा इलाके में हुए हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, जिसके बाद भारत ने महज 12 दिनों में ही पाक से बदला ले लिया। भारत ने 26 फरवरी को बालाकोट एयरस्ट्राइक करके आतंकियों को ढेर कर दिया था।
इस हमले के बाद सभी देशवासी उन परिवारों के भविष्य को लेकर चिंतित थे जिन्हें ये शहीद पीछे छोड़ गए। हालांकि, हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण (केवल बहू पढ़ें) की दिशा में जो अंध तुष्टिकरण करती रही है, उसमें अब दूसरे पक्ष की एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है।
क्या है पूरा मामला?
शहीद कांस्टेबल मनोज कुमार बेहरा (Constable Manoj Kumar Behra) के परिवार के सदस्य, (जो पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में से एक थे) अपने बेटे की असामयिक मौत के बाद टूट गए थे। शहीद सिपाही कटक जिले के नियाली क्षेत्र के रतनपुर गांव का रहने वाला था। हैरानी की बात यह है कि इस संकट भरे समय में सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद मृतक की पत्नी अपने वैवाहिक घर को छोड़कर कहीं और चली गई।
मनोज के पिता जितेंद्र बेहरा ने इंडिया टुडे को फरवरी 2020 में कहा था कि अपने घर के एकमात्र कमाने वाले अपने बेटे को खोने के बाद भाग्य हमसे इतना रूठ जाएगा हमने कभी नहीं सोचा। उन्होंने बताया था कि हमारी बहू एलिलेट बेहरा सरकार से सभी वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद हमें छोड़कर चली गई। उन्हें राज्य सरकार से 25 लाख रुपये और केंद्र सरकार की ओर से 30 लाख रुपये की राशि सरकार द्वारा हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिवार के सदस्यों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में प्राप्त हुई।
पत्नी ने सरकारी नौकरी लेने से किया इनकार
इतना ही नहीं, एलिलेट ने उस वक्त सरकार द्वारा सरकारी नौकरी की पेशकश को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि वह तीन साल बाद काम करेगी, क्योंकि उसकी बेटी अभी बहुत छोटी है और उसे उसकी देखभाल करनी है। एलिलेट ने पुष्टि की थी कि उसे केंद्र और राज्य सरकार से 51 लाख रुपये की राशि मिली है। उसने कहा कि वह अपनी बेटी के 5 साल की होने के बाद ही नौकरी करना चाहती है। पत्नी ने कहा कि मुझे सरकार से वित्तीय सहायता के रूप में 51 लाख रुपये की राशि मिली है, और मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि मेरी बेटी को पैसे से अच्छी शिक्षा मिले।
शहीद के पिता का दर्द
हालांकि, शहीद की पत्नी ने इस बात से इनकार कर दिया उसे रिलायंस फाउंडेशन से भी कोई मदद मिली है। मनोज के पिता ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनका बेटा उनके लिए सब कुछ था और इस घटना ने उन्हें परेशान कर दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारा बेटा हमारे लिए सब कुछ था। उसकी मौत के बाद से हमारा जीवन दयनीय हो गया है। जब वह जीवित था तब उसने हमारी देखभाल की। सरकार ने जो पैसा हमारे पास भेजा, वह हमारी बहू के अकाउंट में जमा हो गया। अब वह हमसे कहती है कि सरकार से मिले पैसे पर हमारा कोई अधिकार नहीं था। मुझे नहीं पता कि क्या करना है और कहां मदद के लिए जाना है।
गांव वाले भी मानते हैं कि यह मनोज के माता-पिता के साथ घोर अन्याय है। उन्हें लगता है कि सरकार ने मनोज के माता-पिता को असहाय छोड़ दिया है। रतनपुर गांव की एक स्थानीय ग्रामीण सागरिका सिंह ने कहा था कि इस घटना से पूरा गांव सदमे में है। हमने कभी नहीं सोचा था कि मनोज के बूढ़े माता-पिता को इस तरह भाग्य का इंतजार करना पड़ेगा। वे आय का कोई स्रोत नहीं होने के कारण दयनीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
Wife Of Pulwama Martyr Leaves Aged In-Laws After Receiving Rs 55 Lakhs As Financial Aid From Govt
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