यह देखते हुए कि मध्यम गति से गाड़ी चलाना और सड़क पर दूसरों की देखभाल करना उसका कर्तव्य था… मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत (Mumbai Magistrate Court) ने हाल ही में अपने एक फैसले में 33 साल की एक महिला को दोषी ठहराते हुए तीन महीने जेल की सजा सुनाई। अदालत ने महिला को लापरवाही से अपनी होंडा सिटी कार चलाने के लिए तीन महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। महिला ने 2010 में एक बाइक सवार शख्स को टक्कर मार दी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।
क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 साल पहले मई 2010 में आरोपी महिला ने लापरवाही से अपनी होंडा सिटी कार से एक मोटरसाइकिल सवार शख्स को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। इस एक्सीडेंट में बाइक की पिछली सीट पर सवार उसकी पत्नी भी घायल हो गई।
पीड़ित मंदार सावंत और उनकी पत्नी रश्मी सावंत सुबह 10 बजे के आसपास बुलेट पर विले पार्ले के पास स्थित एक मंदिर से दर्शन कर लौट रहे थे। जब वे एक रिहायशी सोसायटी के पास से गुजर रहे थे, तभी आरोपी महिला जंकृती पारिख की सेडान कार सोसायटी से बाहर निकली और उनकी बाइक को टक्कर मार दी।
कपल दोपहिया वाहन से गिरकर बेहोश हो गए। सावंत की उस रात इलाज के दौरान ‘ब्रेन हैमरेज’ से मौत हो गई। उनकी पत्नी (जिनके चेहरे और पसलियों में चोटें आई थीं) बाद में होश में आईं और उन्होंने पारिख के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
मृतक की पत्नी रश्मि ने कहा कि वह और उनके पति सुबह करीब 10 बजे विले पार्ले में पार्ले बिस्किट फैक्ट्री के पास मंदिर गए थे। पूजा-अर्चना करने के बाद वे मोटरसाइकिल से तेजपाल रोड से अपने घर लौट रहे थे। जब वे वीरेश्वर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के सामने से गुजर रहे थे, तभी महिला ने टक्कर मार दी।
कोर्ट का आदेश
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सीपी काशिद ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी का यह कर्तव्य था कि वह दूसरे वाहनों का ख्याल रखते हुए मध्यम गति से गाड़ी चलाए। उन्होंने कहा कि गवाह (मृतक पीड़िता की पत्नी रश्मि सावंत) की गवाही से ऐसा प्रतीत होता है कि उसने कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी कार को तेज और लापरवाही से चलाया, जिससे शिकायतकर्ता के पति की मृत्यु हो गई। मजिस्ट्रेट ने कहा कि रश्मि की गवाही विश्वसनीय है।
मजिस्ट्रेट ने अच्छे व्यवहार के मुचलके पर आरोपी को छोड़ने से इनकार कर दिया। मजिस्ट्रेट ने कहा, “आरोपी के खिलाफ अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट का लाभ पाने का हकदार नहीं है।” इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को 10,000 रुपये जुर्माना भरने का निर्देश दिया। इसमें से 8,000 रुपये रश्मि को मुआवजे के तौर पर देने हैं।
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