अक्टूबर 2019 में रूपेंशु प्रताप सिंह, विक्रम बिसयार और कुमार एस रतन के नेतृत्व में सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (SIFF) ने पुरुषार्थ 2019 (Purusharth 2019) का आयोजन किया था, जहां समाज में पुरुषों की उपलब्धियों और योगदान के बारे में चर्चा की गई थी। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में मनोनीत राज्यसभा सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी (KTS Tulsi) और उत्तर प्रदेश के हरदोई से पूर्व सांसद अंशुल वर्मा उपस्थित थे।
इंवेंट का मकसद
राष्ट्रीय राजधानी में अपनी तरह का ऐसा पहला आयोजन 28 सितंबर 2019 को इंडियन सोसाइटी फॉर इंटरनेशनल लॉ, नई दिल्ली में हुआ था। SIFF की टीम इस इवेंट को आयोजित करने को लेकर काफी उत्साहित थी। पुरस्कार विजेताओं को पुरुषार्थ पुरस्कार के लिए उपयुक्त बनाने के लिए सावधानीपूर्वक शॉर्टलिस्ट किया गया था। पुरुषों की इच्छा और मानवता के प्रति सार्वजनिक उत्साही प्रयासों के बारे में एक पुरस्कार दिया गया था।
इस कार्यक्रम में जतिन चानाना द्वारा निर्देशित “Accused” नामक एक शॉर्ट फिल्म की स्क्रीनिंग भी की गई थी। इस दौरान एक अन्य प्रसिद्ध डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और जेंडर अधिकार समर्थक दीपिका नारायण भारद्वाज ने भी अपनी आगामी डॉक्यूमेंट्री फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया, जिसका शीर्षक “India’s Sons” था। कार्यक्रम का समापन समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा एक पैनल चर्चा के साथ हुआ और उन्होंने दर्शकों के साथ बातचीत भी की और उनके सवालों के जवाब भी दिए।
केटीएस तुलसी
इस कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील केटीएस तुलसी काफी मुखर दिखे। उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बनाने से समाज में बुराई खत्म नहीं होती है। बुराई तब खत्म होती है जब लोग अपने आदर्श व्यवहार की मिसाल पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि 1991 में दहेज प्रताड़ना के मामलों की संख्या 4,668 थी, जो 2005 में बढ़कर 6,776 और 2015 में 7,638 हो गई। इसके अलावा झूठे मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर कानून का दुरुपयोग कर लाभ उठाती रही हैं।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मैंने संसद में प्रस्ताव दिया है कि यौन उत्पीड़न की सजा जेंडर न्यूट्रल होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कानून का दुरुपयोग न हो और समाज संतुलित रहे। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ महोत्सव 2019 की यह पहल हर पीड़ित को न्याय दिलाने की एक पहल है और मेरी कामना है कि यह शुरुआत सकारात्मक बदलाव लाए।
इस दौरान अंशुल वर्मा ने भी प्रोत्साहित किया कि कैसे यह आयोजन पुरुषों की समान रूप से सराहना करने का एक प्रयास था। उन्होंने कहा कि लोगों को शिक्षित करने से ही समाज बदलेगा, क्योंकि शिक्षा ही आपको स्वतंत्र सोच देगी। भारत एक युवा देश है जहां युवाओं को सही मार्गदर्शन की जरूरत है जो उन्हें मानसिक रूप से मजबूत और स्वतंत्र बनाता है। पुरुषार्थ महोत्सव समाज में स्वतंत्र सोच के नए युग की शुरुआत है।
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