गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat high court) ने हाल ही में एक विवाहित पुरुष को एक महिला का पता लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा खर्च की गई राशि का आधा भुगतान करने का आदेश दिया है, जिसके साथ वह सात महीने पहले भाग गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, महिला और पुरुष दोनों वयस्क हैं।
क्या है पूरा मामला?
राघभाई परमार राजकोट शहर की एक 20 वर्षीय महिला के साथ भाग गया था। परमार कथित तौर पर मई 2021 में महिला के साथ लापता हो गए थे। बेटी का पता नहीं चल पाने के कारण पिता ने मदद के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पुलिस ने तब एक तलाशी अभियान शुरू किया, जो सात महीने तक चला जब तक कि महिला का पता नहीं चल गया। करीब सात महीने की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस उनका पता लगाने में कामयाब हो पाई। जांच के दौरान कोर्ट को पता चला कि परमार की पहले से ही किसी और से शादी हो चुकी है।
गुजरात हाई कोर्ट का अभूतपूर्व आदेश
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक अभूतपूर्व आदेश में हाई कोर्ट ने अब परमार से महिला का पता लगाने और उसे वापस लाने के लिए खर्च की गई राशि की वसूली का आदेश दिया है। राजकोट पुलिस ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि सात महीने की लंबी तलाश के दौरान पुलिस के 17,170 घंटे बर्बाद हुए। इसके बाद 19 दिनों तक पूछताछ की गई। उन्होंने कुल खर्च की गई राशि 42,500 रुपये बताया।
इसके अलावा, अदालत के समक्ष पेश होने का खर्च लगभग 75,000 रुपये था। इस प्रकार, वयस्क महिला को उसके परिवार को वापस सौंपने के दौरान पुलिस के करीब 1,17,500 रुपये खर्च हुए। महिला के पिता ने अदालत को बताया कि उसने अपनी बेटी का पता लगाने के लिए व्यक्तिगत रूप से 8.06 लाख रुपये खर्च किए थे।
वसूली आदेश महिला के साथ भाग जाने और विवाहित होने के बावजूद उसका शोषण करने की सजा भी थी। हाई कोर्ट ने पिता को उचित अदालत का दरवाजा खटखटाकर नुकसान का दावा करने की अनुमति दी। जज ने कहा कि वे पुलिस द्वारा किए गए खर्च से चिंतित हैं।
पुलिस ने जब परमार को कोर्ट के सामने पेश किया तो हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए परमार को 55,000 रुपये की राशि कोर्ट में जमा करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता द्वारा पूरी राशि का भुगतान करने का निर्देश दे सकते थे, लेकिन हम उक्त राशि का 50% ही देने का आदेश उचित समझते हैं।
परमार को हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में राशि जमा कराने का आदेश दिया गया है। यदि वह भुगतान करने में विफल रहता है, तो रजिस्ट्री (न्यायिक) इसे अदालत के संज्ञान में लाएगी और यह अदालत की अवमानना की कार्यवाही परमार शुरू कर सकती है। एक बार परमार द्वारा पैसे का भुगतान करने के बाद, अदालत ने इसे पुलिस कल्याण कोष, राजकोट सिटी में जमा करने का आदेश दिया है।
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